अनजाने रिश्ते का एहसास,
बयां करना मुश्किल था ।
दिल की बात को ,
लबों से कहना मुश्किल था ।।
वक्त के साथ चलते रहे हम ,
बदलते हालात के साथ बदलना मुश्किल था ।
खामोशियां फिसलती रही देर तक,
यूँ ही चुपचाप रहना मुश्किल था ।।
सब्र तो होता है कुछ पल का ,
जीवन भर इंतजार करना मुश्किल था ।
वो दूर रहती तो सहते हम ,
पास होते हुए दूर जाना मुश्किल था ।।
अनजाने रिश्ते का एहसास ,
बयां करना मुश्किल था ।।
Wednesday, November 4, 2009
अनसुलझे रिश्ते
Wednesday, October 7, 2009
अनसुलझी वो ..........
मुझमें ढूढ़ती पहचान अपनी
बार बार वो ,
जान क्या ऐसा
था
जिसकी तलाश थी उसको ,
अनसुलझे सवाल को
लेकर उलझती जाती
कभी मैंने साथ
देना चाहा था
उसकी खामोशियों को,
उसके अकेलेपन को ,
पर
वो दूर जाती रही
मुझसे ,
अचानक ही एक एहसास
पास आता है
बंधन का
बेनाम रिश्ते का ,
जिसमें दर्द है ,
घुटन है ,
मजबूरियां है,
शर्म है ,
तड़प है ,
उम्मीद है ।मैं समझते हुए भी
नासमझ सा
लाचार हूँ
उसके सामने
शायद बयां कर पाऊं कभी
उसको अपने आप में ।
Sunday, May 31, 2009
बकबक मेरे द्वारा " आप सब का सहयोग "
बकबक ब्लाग मेरे द्वारा ( शिवशंकर ) शुरू किया गया ब्लाग है । इस ब्लाग पर आप मेरी बकबक से रू-ब=रू हो पायेंगें । बहुत सी ऐसी बातें हमारे आसपास होती हैं । जिसको हम देखते हुए भी नहीं देखना चाहते हैं । ब्लाग आमतौर पर पढ़े लिखे लोग ही पढ़ते हैं पर फिर भी इस माध्यम से मैं बात को सब के सामने रखकर कुछ प्रयास करना चाहता हूँ । मैं किसी क्रांति की बात नहीं कर रहा हूँ पर परिवर्तन चाहता हूँ और उसके लिए प्रयास करना जरूरी है । और मैं वही करने की कोशिश करूंगा । आप सब का समर्थन चाहिए ।
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